वेद विद्या सब के लिए है

Authors

  • Dushyant Atri

Abstract

वेद विश्वके सबसे प्राचीन एवं विकसित सभ्यताके परिचायक हैं। चारों वेद सभी विद्याओंके जनक हैं। पृथ्वीपर प्राणी मात्रके कल्याणके लिए परमेश्वरने वेदोंका ज्ञान ऋषियोंके मानस पटलपर प्रकाशित किया हैं। वेद विभिन्न विधियों कला और राजनीति सामाजिक विचार एवं राष्ट्रकी भावनाका समूह है।

      वेदोंको व्याख्यामें व्यक्त करना है, तो विभिन्न सृष्टि उपयोगी विद्याओंके समूहको हम वेद संज्ञा दे सकते हैं। सभी विद्याओंका उपयोग मनुष्य मात्र करता है। वैदिक ज्ञानपर किसीका भी एकाधिकार नहीं है। वह तो सबके लिए है। परमात्माने सभी मनुष्यको सभी अंग उपांगोके साथ विचार करनेकी भी विशिष्ट शक्ति दी है। यहां पर किसी भी आचार्य या विचारधाराका विरोध करना नहीं है। ना किसीका खंडन न किसीका मंडन। यह विचार तो मात्र सत्यका अन्वेषण एवं लोगों तक सत्य पहुंचानेके लिए लिखा गया है।

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References

१. ऋग्वेद, प्रथम खण्ड, सम्पादक – पं. श्री राममशर्मा आचार्य, प्रकाशक – श्रीसंस्कृति संस्थान बरेली (उ.प्र.)१९६५.

२. ऋग्वेद, चतुर्थ खण्ड, सम्पादक - पं. श्री राममशर्मा आचार्य, प्रकाशक – श्रीसंस्कृति संस्थान बरेली (उ.प्र.)१९६५.

३. अथर्ववेद, १,७ काण्ड, व्याख्या – क्षेमकरणदास त्रिवेदी, आर्य प्रकाशन २०१६

४. अथर्ववेद, १,७ काण्ड, व्याख्या – क्षेमकरणदास त्रिवेदी, आर्य प्रकाशन २०१६

५. यजुर्वेद, व्याख्या – महर्षि दयानंद सरस्वती, आर्य प्रकाशन – दिल्ली, २०१७ संस्करण

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Published

10-02-2022

How to Cite

Dushyant Atri. (2022). वेद विद्या सब के लिए है . Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 7(4). Retrieved from https://j.vidhyayanaejournal.org/index.php/journal/article/view/233