ग्रामीण संस्कृति बोध से प्रभावित समकालीन हिन्दी कविता
Abstract
वर्तमान हिंदी कविता का दायरा बहुत ही विशाल है। कविता की विशालता की तुलना में कवियों की संख्या भी कुछ कम नहीं है। समाज को उन्नतिशील बनाने में कवियों की भूमिका भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण रही है। कवि, सारे समाज को एक नई दृष्टि के साथ सोचने, समझने तथा उस विचार दृष्टि के अनुरूप व्यवहार करने को प्रवृत्त करता है। इसी दृष्टि में समकालीनता एक जीवन दृष्टि बनकर अपने समय का आकलन कराती है। समकालीनता से उभरी विचारधारा ही समकालीन कविता में तर्क और संवेदना की सम्मिलित भूमि पर उतरी है। समकालीन कविता में कवि ने नई दृष्टि और समाज की अकुलाहट को स्थानदिया है। या यह भी कह सकते है कि, समकालीन कवि ने समय के साथ आँख मिलाकर वास्तवता का चित्रण किया है जिसमें ग्रामीण संस्कृति बोध का चित्रण बडी ही सहजता के साथ हुआ है।