हिंदी काव्य मे नारी की बदलती स्थिति

Authors

  • Dr. Shankar

Keywords:

हिंदी काव्य, नारी, नारी की बदलती स्थिति

Abstract

वैदिक काल में नारी को पूजा करने, यज्ञ करने और शिक्षा ग्रहण करने जैसे अनेक अधिकार प्राप्त थे। परंतु आदिकाल तक आते - आते नारी पुरुष की संपत्ति बन कर रह गई। आदिकालीन काव्य से स्पष्ट होता है कि भले ही नारी को स्वयं वर चुनने का अधिकार प्राप्त हो परंतु नारी की स्थिति समाज में इस प्रकार की थी जैसे कोई मदारी कठपुतली को अपनी उंगलियों पर नचाता है । नारी एक ओर जहां नाथों की निंदा का पात्र बनी वही सिद्धों ने उसे केवल वासनात्मक दृष्टि से देखा।भक्ति काल में कवियों ने नारी की निंदा और प्रशंसा दोनों की है । यह स्पष्ट करने हतु हिंदी विषय के शोध छात्र होने के नाते हिंदी काव्य मे नारी की बदलती स्थिति का जायचा करने एवं इस अनुसंधान के माध्यम से नारी के प्रति आदर जगाने हेतु प्रस्तुत शोध पत्र तैयार किया गया है ।

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References

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Published

02-08-2023

How to Cite

Dr. Shankar. (2023). हिंदी काव्य मे नारी की बदलती स्थिति. Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 9(1). Retrieved from https://j.vidhyayanaejournal.org/index.php/journal/article/view/896