मानवीय सरोकारों के संदर्भ में गुरु अमरदास की बाणी: एक मूल्यांकन

Authors

  • Poonam Bala

Abstract

गुरु अमरदास द्वारा रचित बाणी का प्रकाश गुरु ग्रंथ साहिब में महला-3 के अंतर्गत किया गया है। उनके जीवन काल (1479 ई. से 1574 ई.) की सामाजिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, आर्थिक, नैतिक आदि परिस्थितियों को प्रकट करती हुई उनकी बाणी मानवीय सरोकारों की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत करती है। मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति के लिए इन सभी परिस्थितियों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। गुरु अमरदास को मानवीय सरोकारों के प्रणेता कहा जा सकता है। उन्होंने जीवन की विभिन्न अवस्थाओं को निभाते हुए मानवीयता के लिए जो भी लाभदायक महसूस किया, उसका अपनी बाणी के माध्यम से  जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास किया। गुरमति सिद्धांतो में अटूट विश्वास रखने वाले गुरु अमरदास ने मानवता के प्रचार प्रसार के लिए जगह जगह प्रचारक नियुक्त किये। गुरु अमरदास की बाणी आज भी मानवीय सरोकारों के संदर्भ में समाज को दिशा निर्देश देने योग्य है। अतः इस बाणी के पठन पाठन द्वारा मानवता की धारणा को सुदृढ़ किया जा सकता है।

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References

‘गुरु अमरदास: राग रत्नाकर’ (प्रोफैसर तारा सिंह)

गुरु इतिहास: दस पातशाहीआं (गिआनी सोहन सिंह सीतल)

‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब के बाणीकार’ (डा. राजेन्द्र सिंह साहिल)

‘सचित्र जीवन साखीआं: दस गुरु साहिबान’ (डा. अजीत सिंह औलख)

श्री गुरु अमरदास जी दी बाणी (प्यारा सिंह पदम)

गुरु अमरदास: जीवन रचना ते सिखिआ (तारन सिंह)

सुहज ते आनंद (तारन सिंह)

जीवन बृतांत: श्री गुरु अमरदास जी

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Published

11-07-2021

How to Cite

Poonam Bala. (2021). मानवीय सरोकारों के संदर्भ में गुरु अमरदास की बाणी: एक मूल्यांकन. Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 6(6). Retrieved from https://j.vidhyayanaejournal.org/index.php/journal/article/view/67