अटल बिहारी वाजपेयी के काव्य में अभिव्यक्तिगत विशिष्टता

Authors

  • Jaspreet kaur Chawla

Abstract

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रवाद की मूर्ति श्री अटल बिहारी वाजपेयी की रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहीं। आरंभ में 'धर्मयुग' नामक मासिक पत्रिका के माध्यम से अटल जी  की कविताएं पाठक गण  तक पहुंँचीं। कविताओं की भाषा सहज, सरल और स्वाभाविक है। अटल बिहारी बाजपेयी कविताओं का अध्ययन करने के पश्चात ज्ञात होता है कि उनके काव्य में खड़ी बोली की प्रधानता अत्यधिक  है।अटल जी अपनी कविताओं के माध्यम से जनता के साथ संप्रेषण कर रहे हैं अगर अटल काव्यधारा को जीवन का चित्रण माना जाए तो भाषा इसकी अभिव्यक्ति का एक मात्र माध्यम है। अटल काव्यधारा का कथानक, देशकाल, संवाद, भाषा शैली का उद्देश्य सांकेतिक है। अटल काव्य धारा का ढांचा,शिल्प,शिल्प कला शिल्प विधान, पारिभाषिक शब्द, रसों, अलंकारों और शब्द शक्तियों की तरफ भी ले जाती है। अभिव्यक्ति के आधार पर अटल काव्य में राजनैतिक विरोधाभास अधिक मात्रा में पाया जाता है। सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक जीवन में गहरी पैठ बनाते राष्ट्रवाद और जन-जागृति की लहर उत्पन्न करती है।अटल जी की इक्यावन कविताएँ मुक्तक शैली में हैं । अनुभूति के स्वर ' , ' हरी - हरी दूब पर ' , ' पहचान ' , ' गीत नया गाता हूँ ' , ' ऊँचाई ' , ' मौत से ठन गई ' , ' कौरव कौन पाँडव कौन ' , 'आज सेंधु में ज्वार उठा है ' , ' गगन में लहराता है भगवा हमारा ' , ' उनको याद करें ' , ' कोटि चरण बढ़ रहे ध्येय की ओर निरंतर ' , ' अमर है गणतंत्र ' , ' मातृ पूजा प्रतिबंधित ' , ' कंठ - कंट में एक राग है ' , ' सपना टूट गया ' , ' अंतर्द्वन्द ' , ' मनाली मत जइयो ' , ' आओ मर्दो नामर्द बनो ' आदि 51 कविताओं का संग्रह है । 'ये कविताएँ विविध विषयों पर होने के कारण विविध भावमयी हैं ,पर सर्वाधिक कविता राष्ट्रप्रेम , राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रीय अस्मिता पर हैं ।अटलजी स्वभाव से राष्ट्र प्रेमी और उत्साही थे ,अस्तु उनके द्वारा ओजपूर्ण ऐसी कविताओं का सृजन होना स्वाभाविक ही था । मनाली से उन्हें विशेष प्रेम था । इसलिए संग्रह में मनाली पर दो गीत हैं । उनके काव्य में यूँ अनेक रसों का परिपाक हुआ है , पर मुख्य रूप से वीर रस , अदभुत रस और करुण रस का ही अवतरण अधिक हुआ है । मनुष्यता और मानव की नियति पर उन्होंने बहुत लिखा है।वस्तुतः वे ' मानवता विधा ' के कवि हैं।

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References

कमल किशोर गोयनका, प्रेमचंद के उपन्यासों में शिल्प में विधान , पृष्ठ संख्या-171

मेरी इक्यावन कविताएं , परिचय , पृष्ठ संख्या-55

मेरी इक्यावन कविताएं ,अमर आग है, पृष्ठ संख्या-50

मेरी इक्यावन कविताएं , मनाली मत जइयो,पृष्ठ संख्या-98

डॉ सत्य देव चौधरी ,भारतीय तथा पाश्चात्य काव्यशास्त्र का संक्षिप्त विवेचन, पृष्ठ संख्या -26

मेरी इक्यावन कविताएं,बबली की दिवाली, पृष्ठ संख्या-94

अटल बिहारी बाजपेई की काव्य चेतना, डॉ अरुण भगत, पृष्ठ संख्या -24

मेरी इक्यावन कविताएं,रोते-रोते रात सो गई, पृष्ठ संख्या-91

मेरी इक्यावन कविताएं,अपने ही मन से कुछ बोलें, पृष्ठ संख्या- 97

मेरी इक्यावन कविताएं, मन का संतोष, पृष्ठ संख्या-30

मेरी इक्यावन कविताएं, पहचान, पृष्ठ संख्या-18

मेरी इक्यावन कविताएं,गीत नया गाता हूँ ,पृष्ठ संख्या-23

मेरी इक्यावन कविताएं,गीत नया गाता हूँ , पृष्ठ संख्या - 23

मेरी इक्यावन कविताएं, ऊँचाई, पृष्ठ संख्या-25

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Published

30-06-2021

How to Cite

Jaspreet kaur Chawla. (2021). अटल बिहारी वाजपेयी के काव्य में अभिव्यक्तिगत विशिष्टता. Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 6(6). Retrieved from https://j.vidhyayanaejournal.org/index.php/journal/article/view/536