प्रत्यायन में नाट्यविद्या श्रेष्ठ

Authors

  • Amrutbhai R. Tirgar
  • Jalda F. Vora

Keywords:

नाटक, प्रत्यायन, नाट्य विद्या

Abstract

प्रत्यायन, भारतीय साहित्य और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण शैली है जिसमें विभिन्न कलाएं एक संगीतिक प्रदर्शन के माध्यम से प्रस्तुत की जाती हैं। प्रत्यायन का मुख्य उद्देश्य दर्शकों को मनोभावना में ले जाना है। इसके माध्यम से नाट्यिक कलाकार अपने अभिनय से दर्शकों को भावनाओं का संग्रह करने का एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं। नाट्यविद्या के साथ प्रत्यायन एक सांस्कृतिक यात्रा की भूमिका निभाता है जो दर्शकों को भारतीय साहित्य और संस्कृति के साथ मिलकर जीने का अवसर प्रदान करती है। प्रत्यायन में नाट्यविद्या समृद्धि और समरसता का संदेश देती है, जो साहित्य, संगीत, और नृत्य के साथ एक सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेने का एक अद्वितीय तरीका है। इसके माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समझते हैं और उसे आगे बढ़ाने का संकल्प करते हैं। इस प्रकार, प्रत्यायन में नाट्यविद्या हमें साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्धि की दिशा में अग्रणी बनाती है।

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References

नेमिचन्द्र जैन - रंगदर्शन, राधाकृष्ण प्रकाशन, तीसरी आवृत्ति: 2010

रीतारानी पालिवाल - रंगमंच: नया परिदृश्य

रमेश राजहंस - नाट्य प्रस्तुति: एक परिचय, राधाकृष्ण प्रकाशन, पहली आवृत्ति: 1997

देवेन्द्र राज अंकुर - रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र

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Published

10-04-2018

How to Cite

Amrutbhai R. Tirgar, & Jalda F. Vora. (2018). प्रत्यायन में नाट्यविद्या श्रेष्ठ. Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 3(5). Retrieved from https://j.vidhyayanaejournal.org/index.php/journal/article/view/1556