नाचिकेतकाव्य का समीक्षण

Authors

  • Ghanshyamsingh N. Gadhvi

Abstract

महाकवि हरिराय-आचार्य के द्वारा रचा गया यह लध्वाकार आधुनिक महाकाव्यं है। गौतम गोत्रीय महर्षि वाजश्रवा सर्वदानरुप विश्वजिदाभिधानिक महाक्रतु को सम्पादित करते है। यह महासत्र में याचकों के लि गोदान करते हुए पिता द्वारा कृशकाय, पीतोदक, जग्धतृण, दुग्धदोहा, निरिन्द्राय गायें दी जा रही थीं। तदृश्य को देख नाँ के पास से जिन्हों ने दानमहिमा सुनी थीं, उस नचिकेता कहा- 

क्षुत्क्षामा दुर्बला एताः शुष्कस्तन्यः कृशेन्द्रियाः ।
धेनूः प्रयच्छता चैताः किं तातेन विधीयते ।। (नाचि केतकाव्यम् ४-३१)

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Published

10-04-2019

How to Cite

Ghanshyamsingh N. Gadhvi. (2019). नाचिकेतकाव्य का समीक्षण. Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 4(5). Retrieved from https://j.vidhyayanaejournal.org/index.php/journal/article/view/1542