मुग़ल साम्राज्य का पतन

Authors

  • Shashikant H. Chauhan

Abstract

औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य का तेजी से पतन होने लगा था। मुग़ल दरबार सरदारों के बीच आपसी झगड़ों और षड़यंत्रों का अड्डा बन गया और शीघ्र ही महत्वाकांक्षी तथा प्रान्तीय शासक स्वाधीन रूप में कार्य करने लगे। मराठों के हमले दक्कन से फैलकर साम्राज्य के मुख्य भाग, गंगा की घाटी तक पहुँच गए। साम्राज्य की कमज़ोरी उस समय विश्व के सामने स्पष्ट हो गई, जब 1739 में नादिरशाह ने मुग़ल सम्राट को बंदी बना लिया तथा दिल्ली को खुले आम लूटा।

सवाल यह है कि मुग़ल साम्राज्य के पतन के लिए औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद की घटनाएँ किस हद तक ज़िम्मेदार थीं और किस हद तक औरंगज़ेब की ग़लत नीतियाँ? इस बात को लेकर इतिहासकारों में काफ़ी मतभेद रहा है। हालाँकि औरंगज़ेब को इसके लिए ज़िम्मेदार होने से पूर्णतया मुक्त नहीं किया जाता, अधिकतर आधुनिक इतिहासकर औरंगज़ेब के शासनकाल को देश की तात्कालिक आर्थिक, सामाजिक, प्रशासनिक तथा बौद्धिक स्थिति और उसके शासनकाल के पहले और उसके दौरान की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में देखते हैं।

औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य का तेजी से पतन होने लगा था। मुग़ल दरबार सरदारों के बीच आपसी झगड़ों और षड़यंत्रों का अड्डा बन गया और शीघ्र ही महत्वाकांक्षी तथा प्रान्तीय शासक स्वाधीन रूप में कार्य करने लगे। मराठों के हमले दक्कन से फैलकर साम्राज्य के मुख्य भाग, गंगा की घाटी तक पहुँच गए। साम्राज्य की कमज़ोरी उस समय विश्व के सामने स्पष्ट हो गई, जब 1739 में नादिरशाह ने मुग़ल सम्राट को बंदी बना लिया तथा दिल्ली को खुले आम लूटा।

सवाल यह है कि मुग़ल साम्राज्य के पतन के लिए औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद की घटनाएँ किस हद तक ज़िम्मेदार थीं और किस हद तक औरंगज़ेब की ग़लत नीतियाँ? इस बात को लेकर इतिहासकारों में काफ़ी मतभेद रहा है। हालाँकि औरंगज़ेब को इसके लिए ज़िम्मेदार होने से पूर्णतया मुक्त नहीं किया जाता, अधिकतर आधुनिक इतिहासकर औरंगज़ेब के शासनकाल को देश की तात्कालिक आर्थिक, सामाजिक, प्रशासनिक तथा बौद्धिक स्थिति और उसके शासनकाल के पहले और उसके दौरान की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में देखते हैं।

औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य का तेजी से पतन होने लगा था। मुग़ल दरबार सरदारों के बीच आपसी झगड़ों और षड़यंत्रों का अड्डा बन गया और शीघ्र ही महत्वाकांक्षी तथा प्रान्तीय शासक स्वाधीन रूप में कार्य करने लगे। मराठों के हमले दक्कन से फैलकर साम्राज्य के मुख्य भाग, गंगा की घाटी तक पहुँच गए। साम्राज्य की कमज़ोरी उस समय विश्व के सामने स्पष्ट हो गई, जब 1739 में नादिरशाह ने मुग़ल सम्राट को बंदी बना लिया तथा दिल्ली को खुले आम लूटा।

सवाल यह है कि मुग़ल साम्राज्य के पतन के लिए औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद की घटनाएँ किस हद तक ज़िम्मेदार थीं और किस हद तक औरंगज़ेब की ग़लत नीतियाँ? इस बात को लेकर इतिहासकारों में काफ़ी मतभेद रहा है। हालाँकि औरंगज़ेब को इसके लिए ज़िम्मेदार होने से पूर्णतया मुक्त नहीं किया जाता, अधिकतर आधुनिक इतिहासकर औरंगज़ेब के शासनकाल को देश की तात्कालिक आर्थिक, सामाजिक, प्रशासनिक तथा बौद्धिक स्थिति और उसके शासनकाल के पहले और उसके दौरान की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में देखते हैं।

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Published

10-08-2015

How to Cite

Shashikant H. Chauhan. (2015). मुग़ल साम्राज्य का पतन. Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 1(1). Retrieved from https://j.vidhyayanaejournal.org/index.php/journal/article/view/1401